hindi story - An Overview
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गांव के लोग भी बिना डरे उस वृक्ष के नीचे जाने लगे।
बाहरी साइटों का लिंक देने की हमारी नीति के बारे में पढ़ें.
डर के मारे कोई पशु उसके पास नहीं जाते थे ।
(एक) जब तक गाड़ी नहीं चली थी, बलराज जैसे नशे में था। यह शोर-गुल से भरी दुनिया उसे एक निरर्थक तमाशे के समान जान पड़ती थी। प्रकृति उस दिन उग्र रूप धारण किए हुए थी। लाहौर का स्टेशन। रात के साढ़े नौ बजे। कराची एक्सप्रेस जिस प्लेटफ़ार्म पर खड़ी थी, वहाँ चन्द्रगुप्त विद्यालंकार
मोती से सामान छीनने लगे। गाय ने मोती को संकट में देख उसको बचाने के लिए दौड़ी।
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Image: Courtesy Amazon It is a imagined-provoking novel written by Kamleshwar, a renowned Indian author. Originally released in Hindi, the novel delves in the sophisticated cloth of India’s social and political landscape throughout the tumultuous duration of partition in 1947. Kamleshwar weaves a narrative that explores the impression of partition to the life of ordinary people plus the deep-rooted scars it still left around the country’s collective psyche.
मोरल – अधिक शरारत और दूसरों को तंग करने की आदत सदैव आफत बन जाती है।
विशाल ने अगले ही दिन कवच को तालाब में छोड़कर आसपास घूमने लगा।
बड़े-बड़े मकानों, बड़ी-बड़ी दूकानों, लंबी-चौड़ी सड़कों, एक से एक बढ़ के कारख़ानों और रोज़गारियों की बहुतायत ही के सबब से नहीं, बल्कि अंग्रेज़ो की कृपा से सैर तमाशे का घर बने रहने और समुद्र का पड़ोसी होने तथा जहाज़ी तिजारत की बदौलत आला दरजे की तरक़्क़ी माधव प्रसाद मिश्र
यह दुर्भाग्य ही था कि इस कहानी को दलित विमर्श के तहत पिछले वर्षों में विवादों में घेरा गया.
गांव के लोगों में उसका read more डर था। गांव में रामकृष्ण परमहंस आए हुए थे।
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कहानी के जोबन का उभार और बोल-चाल की दुलहिन का सिंगार किसी देश में किसी राजा के घर एक बेटा था। उसे उसके माँ-बाप और सब घर के लोग कुँवर उदैभान करके पुकारते थे। सचमुच उसके जीवन की जोत में सूरज की एक सोत आ मिली थी। उसका अच्छापन और भला लगना कुछ ऐसा न था जो इंशा अल्ला ख़ाँ